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शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

क्रम ५ - मात्रा गणना का सामान्य नियम

मात्रा गणना का सामान्य नियम

बा-बह्र ग़ज़ल लिखने के लिए तक्तीअ (मात्रा गणना) ही एक मात्र अचूक उपाय है, यदि शेर की तक्तीअ (मात्रा गणना) करनी आ गई तो देर सबेर बह्र में लिखना भी आ जाएगा क्योकि जब किसी शायर को पता हो कि मेरा लिखा शेर बेबह्र है तभी उसे सही करने का प्रयास करेगा और तब तक करेगा जब तक वह शेर बाबह्र न हो जाए
मात्राओं को गिनने का सही नियम न पता होने के कारण ग़ज़लकार अक्सर बह्र निकालने में या तक्तीअ करने में दिक्कत महसूस करते हैं आईये तक्तीअ प्रणाली को समझते हैं
ग़ज़ल में सबसे छोटी इकाई 'मात्रा' होती है और हम भी तक्तीअ प्रणाली को समझने के लिए सबसे पहले मात्रा से परिचित होंगे -

मात्रा दो प्रकार की होती है
१- ‘एक मात्रिक’ इसे हम एक अक्षरीय व एक हर्फी व लघु व लाम भी कहते हैं और १ से अथवा हिन्दी कवि | से भी दर्शाते हैं  
२= ‘दो मात्रिक’ इसे हम दो अक्षरीय व दो हरूफी व दीर्घ व गाफ भी कहते हैं और २ अथवाS अथवा हिन्दी कवि S से भी दर्शाते हैं

एक मात्रिक स्वर अथवा व्यंजन के उच्चारण में जितना वक्त और बल लगता है दो मात्रिक के उच्चारण में उसका दोगुना वक्त और बल लगता है

ग़ज़ल में मात्रा गणना का एक स्पष्ट, सरल और सीधा नियम है कि इसमें शब्दों को जैसा बोला जाता है (शुद्ध उच्चारण)  मात्रा भी उस हिसाब से ही गिनाते हैं
जैसे - हिन्दी में कमल = क/म/ल = १११ होता है मगर ग़ज़ल विधा में इस तरह मात्रा गणना नहीं करते बल्कि उच्चारण के अनुसार गणना करते हैं | उच्चारण करते समय हम "क" उच्चारण के बाद "मल" बोलते हैं इसलिए ग़ज़ल में ‘कमल’ = १२ होता है यहाँ पर ध्यान देने की बात यह है कि “कमल” का ‘“मल’” शाश्वत दीर्घ है अर्थात जरूरत के अनुसार गज़ल में ‘कमल’ शब्द की मात्रा को १११ नहीं माना जा सकता यह हमेशा १२ ही रहेगा

‘उधर’- उच्च्चरण के अनुसार उधर बोलते समय पहले "उ" बोलते हैं फिर "धर" बोलने से पहले पल भर रुकते हैं और फिर 'धर' कहते हैं इसलिए इसकी मात्रा गिनाते समय भी ऐसे ही गिनेंगे
अर्थात – उ+धर = उ १ धर २ = १२

मात्रा गणना करते समय ध्यान रखे कि -

क्रमांक १ - सभी व्यंजन (बिना स्वर के) एक मात्रिक होते हैं
जैसे – क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ, ट ... आदि १ मात्रिक हैं

क्रमांक २ - अ, इ, उ स्वर व अनुस्वर चन्द्रबिंदी तथा इनके साथ प्रयुक्त व्यंजन एक मात्रिक होते हैं
जैसे = अ, इ, उ, कि, सि, पु, सु हँ  आदि एक मात्रिक हैं 
क्रमांक ३ - आ, ई, ऊ ए ऐ ओ औ अं स्वर तथा इनके साथ प्रयुक्त व्यंजन दो मात्रिक होते हैं
जैसे = आ, सो, पा, जू, सी, ने, पै, सौ, सं आदि २ मात्रिक हैं

क्रमांक ४. (१) - यदि किसी शब्द में दो 'एक मात्रिक' व्यंजन हैं तो उच्चारण अनुसार दोनों जुड कर शाश्वत दो मात्रिक अर्थात दीर्घ बन जाते हैं जैसे ह१+म१ = हम = २  ऐसे दो मात्रिक शाश्वत दीर्घ होते हैं जिनको जरूरत के अनुसार ११ अथवा १ नहीं किया जा सकता है
जैसे – सम, दम, चल, घर, पल, कल आदि शाश्वत दो मात्रिक हैं

४. (२) परन्तु जिस शब्द के उच्चारण में दोनो अक्षर अलग अलग उच्चरित होंगे वहाँ ऐसा मात्रा योग नहीं बनेगा और वहाँ दोनों लघु हमेशा अलग अलग अर्थात ११ गिना जायेगा
जैसे –  असमय = अ/स/मय =  अ१ स१ मय२ = ११२      
असमय का उच्चारण करते समय 'अ' उच्चारण के बाद रुकते हैं और 'स' अलग अलग बोलते हैं और 'मय' का उच्चारण एक साथ करते हैं इसलिए 'अ' और 'स' को दीर्घ नहीं किया जा सकता है और मय मिल कर दीर्घ हो जा रहे हैं इसलिए असमय का वज्न अ१ स१ मय२ = ११२  होगा इसे २२ नहीं किया जा सकता है क्योकि यदि इसे २२ किया गया तो उच्चारण अस्मय हो जायेगा और शब्द उच्चारण दोषपूर्ण हो जायेगा|   
  
क्रमांक ५ (१) – जब क्रमांक २ अनुसार किसी लघु मात्रिक के पहले या बाद में कोई शुद्ध व्यंजन(१ मात्रिक क्रमांक १ के अनुसार) हो तो उच्चारण अनुसार दोनों लघु मिल कर शाश्वत दो मात्रिक हो जाता है

उदाहरण – “तुम” शब्द में “'त'” '“उ'” के साथ जुड कर '“तु'” होता है(क्रमांक २ अनुसार), “तु” एक मात्रिक है और “तुम” शब्द में “म” भी एक मात्रिक है (क्रमांक १ के अनुसार)  और बोलते समय “तु+म” को एक साथ बोलते हैं तो ये दोनों जुड कर शाश्वत दीर्घ बन जाते हैं इसे ११ नहीं गिना जा सकता
इसके और उदाहरण देखें = यदि, कपि, कुछ, रुक आदि शाश्वत दो मात्रिक हैं
 
५ (१) परन्तु जहाँ किसी शब्द के उच्चारण में दोनो हर्फ़ अलग अलग उच्चरित होंगे वहाँ ऐसा मात्रा योग नहीं बनेगा और वहाँ अलग अलग ही अर्थात ११ गिना जायेगा
जैसे –  सुमधुर = सु/ म /धुर = स+उ१ म१ धुर२ = ११२   


क्रमांक ६ (१) - यदि किसी शब्द में अगल बगल के दोनो व्यंजन किन्हीं स्वर के साथ जुड कर लघु ही रहते हैं (क्रमांक २ अनुसार) तो उच्चारण अनुसार दोनों जुड कर शाश्वत दो मात्रिक हो जाता है इसे ११ नहीं गिना जा सकता
जैसे = पुरु = प+उ / र+उ = पुरु = २,   
इसके और उदाहरण देखें = गिरि
६ (२) परन्तु जहाँ किसी शब्द के उच्चारण में दो हर्फ़ अलग अलग उच्चरित होंगे वहाँ ऐसा मात्रा योग नहीं बनेगा और वहाँ अलग अलग ही गिना जायेगा
जैसे –  सुविचार = सु/ वि / चा / र = स+उ१ व+इ१ चा२ र१ = ११२१


क्रमांक ७ (१) - ग़ज़ल के मात्रा गणना में अर्ध व्यंजन को १ मात्रा माना गया है तथा यदि शब्द में उच्चारण अनुसार पहले अथवा बाद के व्यंजन के साथ जुड जाता है और जिससे जुड़ता है वो व्यंजन यदि १ मात्रिक है तो वह २ मात्रिक हो जाता है और यदि दो मात्रिक है तो जुडने के बाद भी २ मात्रिक ही रहता है ऐसे २ मात्रिक को ११ नहीं गिना जा सकता है
उदाहरण -
सच्चा = स१+च्१ / च१+आ१  = सच् २ चा २ = २२
(अतः सच्चा को ११२ नहीं गिना जा सकता है)
आनन्द = आ / न+न् / द = आ२ नन्२ द१ = २२१  
कार्य = का+र् / य = कार् २  य १ = २१  (कार्य में का पहले से दो मात्रिक है तथा आधा र के जुडने पर भी दो मात्रिक ही रहता है)
तुम्हारा = तु/ म्हा/ रा = तु१ म्हा२ रा२ = १२२
तुम्हें = तु / म्हें = तु१ म्हें२ = १२ 
उन्हें = उ / न्हें = उ१ न्हें२ = १२

७ (२) अपवाद स्वरूप अर्ध व्यंजन के इस नियम में अर्ध स व्यंजन के साथ एक अपवाद यह है कि यदि अर्ध स के पहले या बाद में कोई एक मात्रिक अक्षर होता है तब तो यह उच्चारण के अनुसार बगल के शब्द के साथ जुड जाता है परन्तु यदि अर्ध स के दोनों ओर पहले से दीर्घ मात्रिक अक्षर होते हैं तो कुछ शब्दों में अर्ध स को स्वतंत्र एक मात्रिक भी माना लिया जाता है
जैसे = रस्ता = र+स् / ता २२ होता है मगर रास्ता = रा/स्/ता = २१२ होता है
दोस्त = दो+स् /त= २१ होता है मगर दोस्ती = दो/स्/ती = २१२ होता है
इस प्रकार और शब्द देखें 
बस्ती, सस्ती, मस्ती, बस्ता, सस्ता = २२
दोस्तों = २१२
मस्ताना = २२२
मुस्कान = २२१       
संस्कार= २१२१    

क्रमांक ८. (१) - संयुक्ताक्षर जैसे = क्ष, त्र, ज्ञ द्ध द्व आदि दो व्यंजन के योग से बने होने के कारण दीर्घ मात्रिक हैं परन्तु मात्र गणना में खुद लघु हो कर अपने पहले के लघु व्यंजन को दीर्घ कर देते है अथवा पहले का व्यंजन स्वयं दीर्घ हो तो भी स्वयं लघु हो जाते हैं    
उदाहरण = पत्र= २१, वक्र = २१, यक्ष = २१, कक्ष - २१, यज्ञ = २१, शुद्ध =२१ क्रुद्ध =२१
गोत्र = २१, मूत्र = २१,

८. (२) यदि संयुक्ताक्षर से शब्द प्रारंभ हो तो संयुक्ताक्षर लघु हो जाते हैं
उदाहरण = त्रिशूल = १२१, क्रमांक = १२१, क्षितिज = १२  

८. (३) संयुक्ताक्षर जब दीर्घ स्वर युक्त होते हैं तो अपने पहले के व्यंजन को दीर्घ करते हुए स्वयं भी दीर्घ रहते हैं अथवा पहले का व्यंजन स्वयं दीर्घ हो तो भी दीर्घ स्वर युक्त संयुक्ताक्षर दीर्घ मात्रिक गिने जाते हैं  
उदाहरण =
प्रज्ञा = २२  राजाज्ञा = २२२,  

८ (४) उच्चारण अनुसार मात्रा गणना के कारण कुछ शब्द इस नियम के अपवाद भी है -
उदाहरण = अनुक्रमांक = अनु/क्र/मां/क = २१२१ ('नु' अक्षर लघु होते हुए भी 'क्र' के योग से दीर्घ नहीं हुआ और उच्चारण अनुसार अ के साथ जुड कर दीर्घ हो गया और क्र लघु हो गया)       

क्रमांक ९ - विसर्ग युक्त व्यंजन दीर्ध मात्रिक होते हैं ऐसे व्यंजन को १ मात्रिक नहीं गिना जा सकता
उदाहरण = दुःख = २१ होता है इसे दीर्घ (२) नहीं गिन सकते यदि हमें २ मात्रा में इसका प्रयोग करना है तो इसके तद्भव रूप में 'दुख' लिखना चाहिए इस प्रकार यह दीर्घ मात्रिक हो जायेगा
---------------------------------------------------------------------
मात्रा गणना के लिए अन्य शब्द देखें -
तिरंगा = ति + रं + गा =  ति १ रं २ गा २ = १२२    
उधर = उ/धर उ१ धर२ = १२
ऊपर = ऊ/पर = ऊ २ पर २ = २२     

इस तरह अन्य शब्द की मात्राओं पर ध्यान दें =
मारा = मा / रा  = मा २ रा २ = २२
मरा  = म / रा  = म १ रा २ = १२
मर = मर २ = २
सत्य = सत् / य = सत् २ य २ = २१
असत्य = अ / सत् / य  = अ१ सत्२ य१ =१२१
झूठ = झू / ठ = झू २  ठ१ = २१
सच = २
आमंत्रण = आ / मन् / त्रण = आ२ मन्२ त्रण२ = २२२
राधा = २२ = रा / धा = रा२ धा२ = २२ 
श्याम = २१
आपको = २१२
ग़ज़ल = १२
मंजिल = २२
नंग = २१
दोस्त =  २१
दोस्ती = २१२
राष्ट्रीय = २१२१
तुरंत = १२१
तुम्हें = १२
तुम्हारा = १२२
जुर्म = २१
हुस्न = २१
जिक्र = २१
फ़िक्र = २१
मित्र  = २१
सूक्ति = २१
साहित्य = २२१
साहित्यिक = २२२
मुहावरा = १२१२

74 टिप्‍पणियां:

  1. महाशय आपने बहुत अच्छे से जानकारी दी। आपका बहुत धन्यवाद।

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  2. ज़नाब साधुवाद इस अमूल्य जानकारी के लिए
    एक सवाल है कि क्या किसी भी प्रकार से "जिंदगी" का तक्तीअ "221" हो सकता है ?

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  3. ज़नाब साधुवाद इस अमूल्य जानकारी के लिए
    एक सवाल है कि क्या किसी भी प्रकार से "जिंदगी" का तक्तीअ "221" हो सकता है ?

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  4. Amazing.. Kamaal... Hindi mein ilm-e-urooz par pehli baar koi information milee hai...bahut dhanyawaad!

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  5. बहुत अच्छी जानकारी है
    स्वार्थ की मात्रा कैसे गिनेंगे

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  6. चंद्र बिंदु की कौन सी मात्रा होती है

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  7. अँ के लिए 1 अँधेरे=122
    अं के लिए 2 अंग=21

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  8. अभूतपूर्व जानकारी के शुक्रिया आपका

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  9. मुझे हिन्दी के छँद लिखने के लिये मात्रऔं को गिनना आता है दोहे मुक्तक वगैरह लिखती हूँ। उर्दू की विधा ग़ज़ल में मात्रा की गणना में कुछ अंतर हैं उनहे स्पष्ट करें।

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  10. हिन्दी में उच्चारण के अनुसार जैसा बोला जाता है,वैसा ही लिखा जाता है,ठीक इसी तरह गजल विधा में जैसा शब्दों का उच्चारण होगा वैसे ही मात्राओं की गणना की जाएगी। शब्दों के उच्चारण अनुसार लघु उच्चारण पर 1 और दीर्घ उच्चारण पर 2 मात्रा की गणना होगी...और भी नियम हैं जो विस्तार से पढ़ कर अभ्यास करने से सहज और सरल हो जाएंगे!

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  11. बहुत ही अच्छी जानकारी दी गई है |

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  12. बहुत ही अच्छी जानकारी दी गई है |

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  13. शानदार सरल तरीके से समझाया गया बहुत आभार

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  14. मात्रा गिराने का विस्तार करो सर्व

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  15. इसमे किरपा करके मेरी turitiyan बता दे बड़ी किरपा होगी। मुझे ग़ज़ल लिखने के लिए क्या सुधार करने होंगे अभी

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  16. बहुत ही उम्दा जानकारी, आभार स्वास्थ्य में कितनी मात्राएँ होंगी कृपया बताएँ

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  17. बेहद उम्दा जानकारी दी आपने। बहुत शुक्रिया आपका।

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  18. लाजवाब सर। बहुत ही सरल तरीके से आपने मात्रा गणना सिखाया है। आपको साधुवाद।

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  19. आपका बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय । नए ग़ज़लकारों के लिए यह मील का पत्थर होगा । पुनः साधुवाद ।

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  20. बहुत सुन्दर एवं आसान तरीके से समझाने की विधि , आपका बहुत-2 शुक्रिया ।

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  21. आपकी दी हुई जानकारी हमारे लिए बहुत लाभप्रद साबित होगी ।

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  22. ग़ज़ल...
    गिरे नज़रों से क्या तुम, मेरे दिलसे भी निसर गये
    मगर तन्हा तो हैं लेकिन, हुआ अच्छा बिछड़ गये

    लुटा खुदका नशेमन था ना कुछ अफसोस मुझको
    ऐसा तूफ़ाँ ने रुख बदला के हो तिनका बिखर गये

    ना कोई डर ख़िज़ा आने से अब उन्हे होगा..?
    खिले कांटो मे जो फूल और पतझङ मै निखर गये

    बेहद मेहनत से तो ज़जीर तोरी मुफलिसी की
    फुर्सते हाल जो हुए बने वो - सब रिश्ते बिगर गए

    आप की मदद से ही कुछ बहर मैं लिखने लगा हूँ venus sir आप मेरे दिल के करीब रहो गे हमेशा

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  23. सर आपकी जानकरी तारीफें काबिल है
    हमें बहुत अच्छा लगा शुक्रिया

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  24. सर
    मै आपके द्वरा दी हुई जानकरी क़ो अभ्यास कर रहा हूं
    मगर एक कठिनाई हो रही है मुझे इसकी बहर निकलना मुश्किल हो रहा है
    कृपया सहयता करे
    ..सफ़र में धूप तो होगी जो चल सको तो चलो ..

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  25. आपके द्वारा सिखाई गई जानकारी को लिखकर सीखने का अभ्यास करूंगी

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  26. सर्वप्रिय में किस प्रकार की मात्रा आऐगी
    222,2121,212

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  27. गुलशने इश्क़ तो सहरा निकला
    दामने यार में कांटे निकले
    शेर कौन सी बह्र में है

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  28. लाजवाब
    शानदार,गज़ब,साधुवाद

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  29. बहुत सुंदर जानकारी मात्रा को समझने हेतु । आपका बहुत बहुत धन्यवाद ।

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  30. पत्थर की मात्राओ का क्या क्रम होगा

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  31. अपनी तरफ से काफी सरल लहजे में समझाया है
    बधाई एवं धन्यवाद

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  32. दर्द गर्द बर्फ की मात्रायें बताईये कृपया

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  33. "अच्छा" का मात्रा भार १२ और क्या" का मात्रा भार भी १२ है क्या?

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  34. सुखनवर
    ज़माने को क्या गिनेंगे

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  35. बहुत सुन्दर जानकारी के लिये बहुत बहुत आभार

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  36. दिल्लगी का तकतीअ 212 होगा?कृपया बताएँ?

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  37. बहुत सार जानकारी मिला 🙏🙏😊👌

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  38. तन्हा, दुल्हा, सुनहरा, इतना का मात्राभार क्या होगा आदरणीय 🙏🙏

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  39. कृपया वक्त की मात्रा बताएं
    21
    या 12

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  40. महाशय एक बात स्पष्ट करने की कृपा करें,आपने ऊपर पुरु का वज़न केवल 2 लिखा लेकिन ऊपर का वज़न 22 लिखा जिससे ये स्पष्ट है कि रु का वज़न 1 है तो ऊ का वज़न 2 कैसे होगा इसपर प्रकाश डालने की कृपा करें...��

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  41. महाशय एक बात स्पष्ट करने की कृपा करें,आपने ऊपर पुरु का वज़न केवल 2 लिखा लेकिन ऊपर का वज़न 22 लिखा जिससे ये स्पष्ट है कि रु का वज़न 1 है तो ऊ का वज़न 2 कैसे होगा इसपर प्रकाश डालने की कृपा करें...🙏

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  42. आदरणीय आपका सादर आभार । प्रणाम ।🙏🙏👍👍🌹🌹

    जवाब देंहटाएं