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शुक्रवार, 14 दिसंबर 2012

क्रम - ८ अलिफ़ वस्ल

अलिफ़-वस्ल का नियम
अलिफ़-वस्ल वह विशेष पारिस्थिति है जिसमें दो शब्दों को वस्ल कर (जोड़ कर) मात्रा को उच्चारण अनुसार बदला जा सकता है | आईये जानते हैं कि वह विशेष परिस्थिति क्या होती है -

यदि किसी शब्द के अंत में ऐसा व्यंजन आये जिसमें मात्रा न लगी हो और उसके बाद के शब्द का प्रथमाक्षर "स्वर" हो तो उच्चारण अनुसार पहले शब्द के अंतिम व्यंजन और दूसरे शब्द के पहले स्वर का योग किया जा सकता है
उदाहरण - रात आ (रा२ त१ आ२) में 'रात' शब्द का आख़िरी अक्षर "त" व्यंजन है तथा इसमें कोई मात्रा नहीं लगी है और इसके बाद अगला शब्द "आ" एक स्वर है तो "रात+आ" को अलिफ़ वस्ल कर के 'राता' भी पढ़ा जा सकता है जिसका वज्न २१२ से बदल कर रा२ ता२ अर्थात २२ हो जायेगा

अलिफ़ वस्ल को मात्रा गणना में ली जाने वाली छूट के अंतर्गत रखा जा सकता है
 
अन्य उदाहरण देखें -
हम और तुम (२ २१ २) को हमौर तुम (१२१२) भी किया जा सकता है 
 तंग आ चुके (२१ २ १२)  को  तंगा चुके (२२ १२) भी किया जा सकता है 

जरूरी नहीं है कि ऐसा शाब्दिक संयोग होने पर आवश्यक रूप से अलिफ़ वस्ल हो,  अक्सर बह्र को निभाने के लिए ऐसा करना पडता है
उदाहरण स्वरूप कुछ शेअर देखें -

जिंदगी यूँ भी गुज़र ही जाती
क्यों तेरा राह गुज़र याद आया -(मिर्ज़ा ग़ालिब)
(२१२२, ११२२, २२ - बहर-ए-रमल की एक मुज़ाहिफ सूरत)
यहाँ याद आया को यादाया अनुसार उच्चारण करके २२२ मात्रा गणना की गई है

जौर से बाज़ आए पर बाज़ आएँ क्या
कहते हैं हम तुझको मुँह दिखलाएँ क्या
रात दिन गर्दिश में हैं सात आसमाँ
हो रहेगा कुछ न कुछ हम घबराएँ क्या  -(मिर्ज़ा ग़ालिब)
(२१२२, २१२२, २१२२, २१२ - बहर-ए-रमल की एक मुज़ाहिफ सूरत) 
यहाँ बाज़ आए को बाजाए अनुसार उच्चारण करके २२२ मात्रा गणना की गई है और फिर ए कि मात्रा को गिरा दिया गया है तथा सात आसमाँ को सातासमाँ अनुसार २२१२ मात्रा गिनी गई है  

अलिफ़ वस्ल निम्नलिखित स्वर के साथ होता है -
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं

तीन अशआर में एक साथ क्रमशः आ, ऊ, उ, अ, आ तथा अलिफ़ वस्ल का उदाहरण देखिये -

जो था आग आजकल क्या हो गया है
वो क्यों नर्म ऊन जैसा हो गया है  

तब उसकी अस्ल कीमत जान पाए
जब अपना दिल पराया हो गया है
''तो क्या रोज आप ही जीतेंगे मुझसे''
बस इसके बाद झगड़ा हो गया है  - (उदाहरण के लिए स्वरचित)
(१२२२, १२२२, १२२)
आग आजकल को आगाजकल अनुसार २२१२ गिना गया है
नर्म ऊन  को नर्मून अनुसार २२१ गिना गया है
तब उसकी को तबुसकी अनुसार १२२ गिना गया है
जब अपना को जबपना अनुसार १२२ गिना गया है
रोज आप को रोजाप अनुसार २२१ गिना गया है
बस इसके को बसिसके अनुसार १२२ गिना गया है  

एक दुर्लभ अरबी नज़्म के शेअर में अं स्वर अलिफ़ वस्ल होने का उदाहरण देखें - 
 
अदम चूं गश्त हस्ती रा मुकाबिल
दरो रक्से शुद अंदर हाल हासिल  -(शब्सतरो, समय= १२५०-१३२०, ईरान के सूफी कवि पृष्ठ - २३८)
(१२२२, १२२२, १२२)
शुद अंदर को शुदंदर अनुसार १२२ गिना गया है  

याद रखें
(|)- अलिफ़ वस्ल मात्रा में ली जाने वाली एक छूट है जो उच्चारण के कारण हमें मिलती है आवश्यक नहीं है कि तब उसकी(२२२) को हमेशा अलिफ़ वस्ल करके तबुसकी(१२२) ही पढ़ा जाये यह मात्रिक जरूरत होने पर ही १२२ के वज्न में गिना जायेगा
(||)- अलिफ़ वस्ल होने की स्थिति में भी शब्द को शुद्ध रूप से लिखा जायेगा अर्थात  तब उसकी(२२२) को १२२ अनुसार गिनने पर भी तबुसकी न लिख कर हमेशा  तब उसकी ही लिखेंगे  

9 टिप्‍पणियां:

  1. इस लेखको कृपयाऔर विस्तार दें आदरणीय...नमन आपके

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  2. is lekh ko hi nahin, apitu saare meter/behar se sambandhit lekhon to aur vistaar den... Bahut dhanyawaad..

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  3. अलिफ वस्ल की जानकारी देना अपने आप में बहुत महत्त्वपूर्ण है।

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  4. According to Stanford Medical, It is indeed the one and ONLY reason this country's women get to live 10 years more and weigh on average 19 kilos lighter than us.

    (By the way, it has NOTHING to do with genetics or some hard exercise and really, EVERYTHING to related to "how" they are eating.)

    BTW, I said "HOW", and not "WHAT"...

    TAP this link to uncover if this easy questionnaire can help you decipher your true weight loss possibilities

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  5. बेहतरीन जानकारी आदरणीय जी

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